ये जो दुनिया भर के कामों में रहते हो मसरूफ हर दम ये जो दुनिया भर के कामों में रहते हो मसरूफ हर दम
कभी पापा की उंगलियों को पकड़े हुए, खुद को मैं कहीं बैठे देख रही हूं। कभी पापा की उंगलियों को पकड़े हुए, खुद को मैं कहीं बैठे देख रही हूं।
मैं बस सिमटना चाहता था तुममें, उन अल्फाजों की झंकार की तरह मैं बस सिमटना चाहता था तुममें, उन अल्फाजों की झंकार की तरह
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में